तूलिका ने भरे मां के सपनों में रंग


मेरठ के जागृति विहार की 28 वर्षीय तूलिका रानी की उपलब्धियों को शायद ही शहर महसूस कर पाया हो। लेकिन वे दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराकर जोश और जज्बे की मिसाल पेश की। लेकिन किसी ने टोह नहीं ली कि आखिर हमारे खाते में क्या आमद हुई। ये बात और है कि तूलिका से मिलने के बाद हर शख्स उनके साहस का कायल हो जाता है। सवाल है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश और प्रदेश का नाम रोशन करने वाली जांबाज तूलिका क्या किसी सम्मान की हकदार भी नहीं?
     एयरफोर्स लखनऊ में स्कवाड्रन लीडर के पद पर तैनात तूलिका कहती हैं कि एवरेस्ट की चोटी पर जाने के 18 रास्ते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से दो ही रास्ते अपनाए जाते हैं, एक नेपाल का साउथ रूट और दूसरा चीन का नॉर्थ रूट। मैं साउथ रूट से वहां तिरंगा फहरा चुकी हूं, अब नॉर्थ रूट से जाऊंगी। मेरी तमन्ना दुनिया की सर्वोच्च ऊंचाईयों पर तिरंगा फहराने की है।
हौसलों की ऊंचाई पर सिर्फ इंसान हूं
  सिर्फ इच्छाशक्ति के दम पर ही इतनी ऊंची मंजिल तय करना संभव है। फैंटेसी होती है कि आखिर इतनी ऊंचाई पर कैसा लगता है। जिंदगी की तरह एवरेस्ट की ऊंचाई पर जाति,धर्म और बिना किसी भेदभाव के सिर्फ इंसान होने का सुखद अहसास होता है। ये दुर्लभ क्षण है, हाथों में था तिरंगा ही मेरी पहचान थी जो सिर्फ भारतीय होने से ज्यादा कुछ भी नहीं था।
तूलिका को मिले यूपी रत्न
तमाम संगठनों ने तूलिका को सम्मान से नवाजे जाने की मांग भी की है। सांसद राजेंद्र अग्रवाल, सपा नेत्री डा सरोजनी अग्रवाल, कमीशनर मृत्युंजय कुमार नारायण, जिलाधिकारी विकास गोठलवाल व एडवोकेट अफजाल अहमद ने पत्र लिखाकर प्रदेश सरकार से तूलिका को यूपी रत्न और आर्थिक मदद की संस्तुति की है। उन्हें राष्ट्रपति पदक से सम्मान के लिए केंद्र सरकार से संस्तुति करने की बात कही है। ताकि वे 21 लाख के कर्जे को  निपटा सकें। 

  - दिक्कत और सफर की चुनौतियां
’ खर्चा 21 लाख, फ्रेंड सर्किल में जुटाए
’ 12 किलो के बैग को लादकर ऊंचाई पर चढ़ना
’ बैग में आॅक्सीजन सिलेंंडर, गर्म कपड़े, दवाएं
’ 5 लाख अभियान में मदद के लिए दो शेरपा
’  राशन की नेपाल सरकार 7 लाख परमिट फीस 
’  5 लाख के उपकरण दस्ताने 16 से 20 हजार तक
’ ब्यूटेन गैस सिलेंडर खाना और बर्फ से पानी बनाने 
’ 17,500 फीट पर बेस कैंप और इसके ऊपर हर दो हजार फीट की ऊंचाई पर चार कैंप
- हैरतअंगेज सफर
’ खड़ी चढ़ाई,गहरी खाईयां, बफर् ीले तूफान का जोखिम
’ 26 हजार फीट ऊंचाई के बाद डेथ जोन घोषित
’ तापमान माइनस 30 से 40 डिग्री तक
’ 100 किमी प्रति घंटे से भी अधिक बर्र्फीली हवाएं
’ अप्रैल-मई में 11 पर्वतारोहियों की मौत हुई
- आंकड़ों में एवरेस्ट
’ पहली बार 1953 में एडमंड हिलेरी और तेनसिंग नारगे एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचे।
’ 1953 से आज तक दुनियाभर से 3 हजार लोग
’  195 भारतीय हैं, जिनमें 33 महिलाएं
’ 1984 में बछेंद्री पाल पहली भारतीय महिला
’ तूलिका यूपी की पहली महिला एवरेस्ट विजेता
- शिखर जो तूलिका ने छुए
माउंट स्टोक कांगड़ी, लेह  - 20,000 फीट
माउंट भागीरथी, उत्तराखंड - 23,000 फीट
माउंट कामेट,गढ़वाल      - 25,000 फीट
माउंट सासेर कांगड़ी, लेह  - 25,000 फीट
माउंट एवरेस्ट, नेपाल      - 29,028 फीट

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