Friday, November 9, 2012

गरिमा ने किए मां के सपने साकार


      मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी गरिमा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमक बिखेरेगी। यह किसे पता था, लेकिन लाख दुश्वरियों के बाद गारिमा की मां का आत्मविश्वास नहीं डगमगाया। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी न सिर्फ  मासूम बच्चे के सपनों को संवारा बल्कि खुद की ख्वाहिशों का पूरा होते देखा।           
        1990 में जन्मी गरिमा आरजी कॉलेज से 12वीं करने के बाद चंडीगढ़ से बीए किया और मेरठ से एमबीए की पढ़ाई कर रही है। महज 6 साल की उम्र में उसकी शरारत से तंग आकर मां ने जूडो की कोंचिग दिलाना शुरू किया।  खेलकूद के सफर तब शुरू हुआ जब सिर्फ तीन महीने बाद ही स्टेट लेवल की जूडो प्रतियोगिता में उसे हुनर दिखाने का मौका मिला। लेकिन इतने कम समय में अपने दमखम की वजह से उसे प्रदेशभर के बच्चों के बीच तीसरा स्थान बनाया। असल में यहीं से मासूम गरिमा नन्हीं जूडोका के नाम से जानी गई और यहीं से शुरू हुआ खेल की दुनिया का सफर। अपनी मां के बारे में गरिमा कहतीं हैं कि मेरे यहां तक पहुंचने में मेरी मां का महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
    इसके बाद सिर्फ 9 साल की उम्र में ही केरल में आयोजित पहली नेशनल प्रतियोगिता में भी गोल्ड जीतकर सफलता दर्ज की। इस प्रतियोगिता के बाद गरिमा का नाम सिर्फ प्रदेश में ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर जाना जाने लगा। 14 साल में पहलीबार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलकर भारत के नाम सफलता दर्ज की। इसके बाद लगातार दुनिया के ज्यादातर देशों में कई मेडल और सम्मान प्राप्त कर अंरराष्ट्रीय स्तर पर दर्ज किया।
   गरिमा चौधरी ने कहतीं हैं कि विदेश में जूडो के मुकाबले फर्क सिर्फ इतना ही है कि हमारे यहां कम प्रतियोगिताएं होती हैं और विदेश में ज्यादा। यही वजह है कि विदेशी खिलाड़ी स्टेप-टू-स्टेप आगे बढ़ते हैं तो हमें सीधे बड़े कम्पीटिशन में उतरना पड़ता है, जबकि हम मेहनत उनके बराबर ही करते हैं, लेकिन कम अनुभव होने से प्रदर्शन में अंतर आता है। गरिमा ने कहा कि 2004 में जब उसने मेरठ छोड़ा था तो उसके बाद से जूडो की अच्छी प्रैक्टिस भी खत्म होती गई। वहां अब जूडो के अच्छे खिलाड़ी भी नहीं आ रहे।
  उपलब्धियां
    ’ राष्टÑीय और अंतर्राष्टÑीय प्रतियोगिताओं में 50 से ज्यादा पदक।
  ’ 2007 में जूनियर एशियाई चैंपियनशिप हैदराबाद में स्वर्ण पदक
 ’  2006 में सैफ गेम कोलंबो में स्वर्ण पदक
  ’ 2008 में कॉमनवेल्थ जूडो चैंपियनशिप मॉरीशस में जूनियर व सीनियर में स्वर्ण पदक
 ’ 2010 में कॉमनवेल्थ जूडो चैंपियनशिप सिंगापुर में रजत   ’ 2010 में मार्शल आर्ट्स बैंकाक में कांस्य पदक
  ’ 2008 में जूनियर एशियाई चैंपियनशिप, यमन में रजत
  ’ 2008 में जूनियर एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य पदक
  -  2008-09 में वर्ष की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित
   - 2012 लंदन ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व

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