Saturday, March 24, 2012

उपन्यासकार चेतन भगत


उपन्यासकार चेतन भगत आज युवाओं के पसंदीदा लेखक बन चुके हैं। इनके  लेखन की खाशियत है कि उनकी कहानी और उसकी बुनावट बहुत हद तक युवाओं के इर्दगिर्द होती है। उपन्यास का अक्सर अतीत से शुरू होना इनका निराला अंदाज साबित करता है। किशोरउम्र, युवावस्था का प्रेम, चुंबन, रतिदृश्य और छिटपुट हिंसा वह अपने उपन्यासों के फार्मूले स्वीकारते हैं। भगत हमेशा तेज से गुजरता क्लाइमेक्स बुनते हैं, जिसका अंत सुखांत भरा और युवाओं को नसीहत देता है। मेरठ के एक निजी कॉलेज में आने पर जाना उनके लेखन के जादुई रहस्य को- 
मेरठ कैसा लगा?
मेरठ शहर अच्छा है, लेकिन जितना डेवलपमेंट होना चाहिए नहीं हुआ है। यह दिल्ली, गुड़गांव जैसे शहरों से जुड़ा होने के बावजूद विकसित नहीं हुआ है। जैसे पूना, बैंगलोर आदि शहर तेजी से विकसित हुए हैं, वैसा नहीं हुआ। मेरा मानना है कि नोयडा, दिल्ली और गुड़गांव जैसे शहरों से मेरठ की कनेक्टविटी फास्ट होनी चाहिए।
- आप इंजीनियरिंग के क्षेत्र से जुड़ रहें हैं, यह लेखन से कैसे जुड़ाव हुआ?
शुरू से ही मैं पढ़ाई-लिखाई के साथ पढ़ता रहता था, साहित्य हमेशा से मुझे अपनी ओर खींचता रहा है। सरोजनी नायडू, शरतचंद और प्रेमचंद को ज्यादा पढ़ा, मेरा प्रेमचंद से मेरा लेखन मेल भी खाता है।
 - लेखन के पीछे आपका क्या मकसद है?
बच्चो के लिए हिदंी फिल्म देखना और गाने सुनना कूल है,लेकिन किताबों को पढ़ना कूल नहीं मानते। सबसे पहले तो इस मानसिकता को बदलना चाहता हूं। मैंने हमेशा जो लिखा वो बोझिल होते साहित्य को हल्का करने के लिए लिखा, जो युवा पसंद कर सकें। मौजूदा लेखकों से मेरी कोई प्रतिस्पर्धा रही ही नहीं। तकनीकी विकास के इस दौर में इंटरनेट जैसी सुविधाएं हैं, जहां आजकल सबकुछ मौजूद है। आधुनिक कहानियों को आधुनिक अंदाज में लिखना मेरा खास मकसद रहता है, ताकि युवा और बच्चे चाव से पढ़ें। उपन्यास और कहानियों में कम से कम अपने आप को पाएं, मैं चाहता हूंकि नई जनरेशन के मुद्दे  भी इसमें आएं। मेरा कंप्टीशन बुक नही रहीं, मैं हमेशा माडर्न स्टोरी लिखने की कोशिश करता रहा।
- साहित्य में अपने लेखन का क्या असर देखते हैं?
अभी बहुत खास तो असर नहीं दिखता, मैंने ध्यान दिया तो महसूस भी किया, आज युवा जटिल साहित्य नहीं पढ़ना चाहते। कम से कम मेरी किताबें तो उठा रहें हैं, क्या यह लेखन का असर नहीं है। कहीं न कहीं मुझे अपने लेखन का असर हमेशा दिखता है, लेकिन कम। 
- आपकी हर किताब का टाइटिल न्यूमेरिकल होता है।
ऐसा इसलिए होता रहा क्योंकि मैं इंजीनियरिंग बैकग्राउंड का हूं, वही यादें हैं। कुछ किताबें लिखीं हैं, जो लीक से हटकर भी हैं।
- क्या आपको उम्मीद है कि मेरठ में आपके पाठक हैं।
मुझे नहीं पता था कि मेरठ में इंगलिश साहित्य पढ़ने वाले रीडर होगें। जब मुझे पता चला कि मेरी किताबों को लोग याहां पढ़ते हैं, तो अच्छा लगा।
- आपकी किताबों को कोर्स में शामिल करने के बाद हटा दिया गया।
मुझे नहीं मालूम किसी पुस्तक को पाठ्यक्रम में शामिल करना और निकालना यह निजी मामला है। मैंने जब भी लिखा एक स्वतंत्र पाठक के लिए लिखा, न कि किसी पाठ्यक्रम में शामिल होने के लिए । मेरा मानना है कि अगर साहित्य किसी पाठक को पसंद आता है, तो वह पढ़ेगा जरूर । युवाओं को अगर किसी काम के लिए मना करो तो वह ज्यादा करते हैं, वह मेरी पुस्तके और पढ़ेगें।
- किताबें लिखना व्यवसाय हो गया है, आपका क्या कहना है?
मैं कई कालम लिखता हूं, थ््राी मिस्टेक आफ माई लाइफ में भी गोधरा कांड का मुद्दा उठाया था। मेरी किताबें गंभीर मुद्दों पर आधारित होती हैं। उनको इंटरटेनमेंट फेक्टर से जोड़कर पेश करता हूं, ताकि युवा पसंद करें। अगर ऐसा नही होगा तो यूथ गाने सुनना बंद करके मेरी किताबें नहीं पढ़ेगें।
- क्या आपने उपन्यास को हिंदी में अनुवाद कर सकते हैं।
मुझे नहीं लगता कि मेरी हिंदी इतनी अच्छी है, कि मैं सारा उपन्यास हिंदी में लिख पाऊंगा। हां हिन्दी इंगलिश मिक्स भाषा में आधारित हिंदी उपन्यास जल्द बााजार में होगें। मेरा मानना हे कि मैं अपने फेम को बच्चों और देश के हित के लिए इस्तेमाल करुं, मुझे जो पाना था पा लिया।
- फिल्मों और नॉवेल में किसकी सार्थकता ज्यादा देखते हैं?
मेरे उपन्यासों में जो दो फिल्में बालीवुड में आर्इं, फाइव प्वाइंट समवन उपन्यास पर आधारित 'थ्री इडिएट' और  'थ्री मिस्टेक आफ माइ लाइफ' अगले महीने आने वाली है। जिन उपन्यासों पर फिल्में बनी वह हिंदी भाषा पर आधारित हैं। बालीवुड में कामर्शियल बांउड्री में काम करना होता है, यह इसकी मजबूरी है और लेखकों के लिए परेशानी भी अभी और बेहतरी की जरुरत है। इसलिए फिलमों की उपेक्षाकृत उपन्यास ज्यादा सार्थक दिखते हैं।
- आपके उपन्यास पर आधारित फिल्मों में कोई पात्र आपसे मेल खाता है?
हां थ्री इडिएट फिल्म में मैं महादेवन के पात्र में अपने को देखता हूं। वह मेरी कहानी थी, मैं इंजीनियरिंग का छात्र रहा हूं और लेखन मेरा पेशन था।
- आप भाषा के बंधन में बंधा नहीं महसूस करते, हिंदी के लिए कुछ कोशिश ?
प्रभात प्रकाशन ने चेतन की दो किताबें फाइव प्वाइंट समवन और वन नाइट विद कॉल सेंटर का हिंदी अनुवाद प्रकाशित किया है, जबकि डायमंड पॉकेट बुक्स ने द थ्री मिस्टेक्स आॅफ माई लाइफ का अनुवाद पेश किया है। इस कोशिश में हिदंी साहित्य ही कारगर दिखता है। हम 'टू स्टेट' का मार्डन हिंदी अनुवाद ला रहे हैं। जो कि बोलचाल की भाषा में ही होगी। हिंदी साहित्य काफी पिछड़ रहा है, मुझे लगता है कि जब कोई अंग्रेजी का लेखक मैदान में नहीं आएगा तब तक बात नहीं बन पाएगी। मैं कुछ हिंदी और अंग्रेजी में मिक्स लिखने जा रहा हूं, यह युवाओं की बोलचाल की भाषा पर आधारित होगा।
 

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