Wednesday, August 6, 2014

मेरठ में बनते हैं ये वाद्य यंत्र

मेरठ : देशभर में वाद्य यंत्रों की गूंज मेरठ ने ही फैलाई थी। यहां बने वाद्य यंत्र देश के हर कोने में पहुंचने के साथ ही विदेशों तक धूम मचा रहे हैं। 129 वर्ष पहले एक व्यक्ति ने जो अभिनव शुरुआत की थी, आज दो हजार से अधिक परिवारों के लिए भरण-पोषण का जरिया है। जली कोठी स्थित वाद्य यंत्र बाजार एशिया का सर्वश्रेष्ठ वाद्य यंत्र बाजार कहा जाता है।
यहां देशी और विदेशी वाद्य यंत्रों का उत्पादन वर्ष 1885 में वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित सियालकोट जिले के निवासी इमाम बख्श ने शुरू किया था। वह भारतीय सेना की मेरठ छावनी में बैंड मास्टर थे। रिटायर होने के बाद वह मेरठ में ही बस गए। उस समय वाद्य यंत्र पेरिस से आते थे। उन्होंने पहले वाद्य यंत्रों की एजेंसी ली और बाद में इमाम बख्श एंड कंपनी बनाकर इनका उत्पादन शुरू कर दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बिगुल बनाने वाली एकमात्र इस भारतीय कंपनी ने अंग्रेज सरकार को हजारों की संख्या में बिगुल दिए थे। बाद में उनके बेटे नादिर अली ने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया और यह कारवां आज भी बदस्तूर आगे बढ़ता चला जा रहा है।

- सूरजमुखी उर्फ सोजा फोन
- ट्रम्पेट
- कार्नेट
- पॉकेट कार्नेट
- बिगुल
- ट्रम्बन
- यूफोमियम
- क्लार्नेट
- सैक्सोफोन
- बैक पाइप अर्थात बीन बाजा
- सभी प्रकार के ड्रम सेट
- थाप ढोल
बाहर से आता है कच्चा माल
तांबा (कॉपर) व पीतल (ब्रास) से बनने वाले इन वाद्य यंत्रों के लिए कच्चा माल दिल्ली, जगाधरी व रेवाड़ी से मंगाया जाता है। कुछ लोग वहां से माल लाकर मेरठ में सप्लाई भी करते हैं। इसके साथ ड्रम सेटों में लगने वाले सिंथेटिक स्किन का भी मेरठ में बड़े स्तर पर कारोबार है। वाद्य यंत्रों के उत्पादन व ट्रेडिंग में इस इलाके के लगभग ढाई हजार परिवार जुड़े हैं।
विदेशों में है सप्लाई
मेरठ में इन वाद्य यंत्रों का पूरा सेट तैयार किया जाता है। देशभर में यही से उपकरण सप्लाई होते हैं। इसके साथ ही बांग्लादेश, श्रीलंका, जर्मनी, अमेरिका आदि देशों में पारंपरिक वाद्य यंत्र मेरठ से जाते हैं। विदेशों में इनकी डिमांड को देखते हुए जर्मनी में इनकी प्रदर्शनी भी लगाई जा चुकी है। वर्ष 1997 में गुजरात के हर जिले के लिए चार हजार बैंड सेट एक साथ मंगाए गए थे।
इन्होंने कहा..
मेरठ में पीतल व तांबे से बनने वाले पारंपरिक वाद्य यंत्र की फुल रेंज बनती है। देश मेंकोलकाता सहित कुछ शहरों में कुछ उपकरण बनाए जाते हैं, लेकिन उनके लिए भी मैटेरियल मेरठ से ही सप्लाई होता है। इस बाजार की रौनक को बनाए रखने के लिए सरकार को इंडस्ट्री स्थापित करनी चाहिए, जिससे पुरानी तकनीकी छोड़कर उत्पादों को बेहतर फिनिशिंग दी जा सके।
- हाजी रहमतुल्ला, महासचिव, मेरठ वाद्य यंत्र निर्माता व विक्रेता एसोसिएशन।